पीएम मोदी ने शुक्रवार 12 जनवरी 2024 को Atal Setu या अटल बिहारी वाजपेयी ट्रांस हार्बर लिंक (Shri Atal Bihari Vajpayee Trans Harbour Link) का उद्घाटन नवी मुंबई में किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस पुल का नाम ‘अटल बिहारी वाजपेयी ट्रांस हार्बर लिंक’ रखा गया है।
इसको मुंबई ट्रांस- हार्बर लिंक (MTHL) या सेवरी-न्हावा शेवा ट्रांस हार्बर लिंक (Sewri–Nhava Sheva Trans Harbour Link) के नाम से भी जाना जाता है।
Some Key Point of Atal Setu
यह भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है व विश्व में यह बारहवें स्थान पर आता है। इससे पहले असम में डॉ. भूपेन हजारिका पुल भारत का सबसे लंबा पुल था जोकि 9.15 किमी लंबा है व ब्रह्मपुत्र नदी पर बना हुआ है।
अटल सेतु छह लेन का होने के साथ साथ 21.8 किलोमीटर लंबा तथा 27 मीटर चौड़ा है। समुद्र के ऊपर जिसकी लंबाई लगभग 16.5 किमी और जमीन पर लगभग 5.5 किमी है।
जिसे ₹18,000 करोड़ से अधिक की लागत से बनाया गया है। यह मुंबई के सेवरी से निकलता है और रायगढ़ जिले के उरण तालुका(Uran Taluka) में न्हावा शेवा के पास चिरले(Chirle) में समाप्त होता है।
यह पुल मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के मध्य कनेक्टिविटी में गति प्रदान करेगा और मुंबई से पुणे, गोवा और दक्षिण भारत की यात्रा करने में समय भी कम लगेगा।
इसके द्वारा मुंबई बंदरगाह और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह के बीच कनेक्टिविटी में भी सुधार होगा।
टू व्हीलर, ट्रैक्टर, छोटे बहुत हल्के कमर्शियल व्हीकल और ऑटो-रिक्शा को छोड़कर सभी वाहनों को पुल के माध्यम से यात्रा करने की अनुमति है।
इस प्रोजेक्ट को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (Japan International Cooperation Agency (JICA)) द्वारा फाइनैन्स किया गया है, जो प्रोजेक्ट कुल लागत का 80% कवर करता है, जिसका बाकी हिस्सा राज्य और केंद्र सरकारों के बीच शेयर किया गया है।
Technologies Used in Atal Setu
इस पुल के निर्माण में लगभग 120000 टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है, जोकि चार हावड़ा पुलों के निर्माण के लिए पर्याप्त है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण के लिए जितनी कंक्रीट का उपयोग किया गया उससे छह गुना अधिक मात्रा में कंक्रीट का उपयोग इस पुल को बनाने में किया गया है। एफिल टॉवर में उपयोग की गई स्टील की गई मात्रा से 17 गुना अधिक मात्रा में स्टील का उपयोग इसमें किया गया गया है।
मौसम की भिन्नताओं का सामना करने में यह पुल पूरी तरह से सक्षम है, इसका जीवनकाल एक शताब्दी से अधिक का बताया जाता है।
पुल के निर्माण में RCD टेक्नॉलजी का उपयोग किया गया है। जिसका इस्तेमाल भारत में पहली बार किया गया है, यह फाउंडेशन बनाने के लिए एक नवीन टेकनीक है, जोकि पुरानी ड्रिलिंग टेकनीक की तुलना में शोर कम करती है।
OCD एक ऐसा कन्स्ट्रक्शन मेथड है, जिसके कारण यह पुल हल्के स्ट्रक्चर के बावजूद भारी वाहनों का भार सहन कर सकता है।
MTHL प्रोजेक्ट देश का पहला प्रोजेक्ट है जो Toll को कलेक्ट करने के लिए ओपन रोड टोलिंग(ORT) मेथड का प्रयोग करता है, जिसमें वाहनों को, टोल देने के लिए, रोकने या धीमा करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए विशेष कैमरे लगाए गए हैं, जो गुजरने वाले वाहनों को बिना रोके स्कैन करते हैं और औटोमेटिक तरीके से टोल प्राप्त करते हैं। इस प्रकार यात्रियों को ट्रैफिक में फंसना नहीं पड़ेगा व लंबी लाइनों में लगने की भी जरूरत नहीं होगी।
Benefits of Atal Setu (MTHL)
o मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) और जेआईसीए(JICA)के अनुसार, यह पुल सेवरी और चिरले के बीच यात्रा में लगने वाले समय 61 मिनट को कम करके 16 मिनट से भी कम कर देगा।
o ऐसी आशा की जाती है कि पुल के शुरू होने के पहले वर्ष (2024) में ही हर दिन करीब 40,000 वाहन इसका उपयोग करेंगें।
o यह पुल मुंबई और पुणे एक्सप्रेसवे(Pune Expressway) के बीच की दूरी को भी कम करता है।