Kid’s Moral Story: बहुत समय पहले की बात है, जब शाक्य राज्य में राजा शुद्धोदन का राज्य था। वह एक बुद्धिमान और दयालु शासक थे, जिनका अपने प्रजा पर गहरा स्नेह था। लेकिन उनके जीवन का सबसे बड़ा गर्व उनके पुत्र सिद्धार्थ थे।
सिद्धार्थ के जन्म के समय, राज ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि वह या तो एक महान राजा बनेंगे, जो पूरी दुनिया पर शासन करेंगें, या एक महान संत, जो सत्य की खोज के लिए राजसुख त्याग देंगें। इस भविष्यवाणी ने राजा को गर्व और चिंता दोनों से भर दिया। वह चाहते थे कि उनके पुत्र की दुनिया केवल खुशियों से भरी रहे व उसे कभी भी दुःख का सामना न करना पड़े। राजा का सपना था कि उनका बेटा एक दिन महान व शक्तिशाली शासक बने।
लेकिन सिद्धार्थ एक साधारण बालक नहीं थे। वे अत्यधिक संवेदनशील और जिज्ञासु प्रकृति के थे। बचपन में भी, वह अपनी उम्र के दूसरे बच्चों से बहुत अलग थे। जब सब बच्चे दुनिया की परवाह किए बिना खेलते और शरारत करते थे, तो सिद्धार्थ चुपचाप अपने आस-पास की चीज़ों को देखते रहते थे, और जो कुछ भी देखते थे, उसके बारे में सवाल पूछते रहते थे।
उनके सौम्य और विचारशील व्यवहार ने उन्हें सभी का प्रिय बना दिया था, लेकिन इस बात से उनके पिता चिंतित थे। उन्हें डर था कि कहीं सिद्धार्थ एक दिन अपने राजसी कर्तव्यों को छोड़ न दें और अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने में रुचि न लें।
Kid’s Moral Story
एक दिन, शाक्य राज्य में खेती के मौसम की शुरुआत का उत्सव मनाया जा रहा था। राजा ने इस उत्सव में सिद्धार्थ को अपने साथ ले जाने का निर्णय लिया। पूरे राज्य में खुशी का माहौल था। सभी लोग उत्सव मनाने के लिये एकत्र हुए थे। राजा ने एक हल लेकर खेत की मिट्टी को जोतना शुरू किया, तो लोगों ने उनकी जय-जयकार की। लेकिन सिद्धार्थ का ध्यान कहीं और था।
एक तरफ जब भीड़ राजा के काम की जय-जयकार कर रही थी, तो दूसरी तरफ सिद्धार्थ की निगाहें ज़मीन पर टिकी थीं। उन्होंने देखा कि हल की नोक से ज़मीन कट रही थी, और उसके साथ छोटे-छोटे कीड़े-मकौड़े बाहर आ रहे थे। पक्षी नीचे आकर उन जीवों को खा रहे थे। यह देखकर सिद्धार्थ को बहुत दुःख हुआ। जहाँ बाकी लोग खुशी मना रहे थे, वहीं सिद्धार्थ इन छोटे जीवों के दर्द को महसूस कर रहे थे। उनका मन करूणा से भर गया। उन्होंने सोचा, “क्या हमारी खुशी इन छोटे जीवों के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है?”
इस दृश्य ने छोटे सिद्धार्थ को बहुत परेशान कर दिया। उस पल, उन्हें उन जीवों के लिए, जो हल चलाने के कारण पीड़ित हो गए थे, बहुत दुख महसूस होने लगा। उन जीवों के दुख को अनदेखा करने में असमर्थ होने के कारण, वह चुपचाप भीड़ से दूर चला गए और एक जंबू के पेड़ के नीचे बैठ गए। वहां बैठकर उन्होंने गहराई से सोचना शुरू किया। उनको लगा कि हमारी खुशी में इन छोटे जीवों का कितना दर्द छिपा है व दुनिया में हर जीव का जीवन कष्ट और पीड़ा से भरा हुआ है।
इस बीच, राजा को जल्द ही पता चला कि सिद्धार्थ गायब है। चिंतित होकर, उसने अपने सेवकों को युवा राजकुमार की खोज करने के लिए भेजा। बहुत खोजने के बाद, उन्होंने सिद्धार्थ को पेड़ के नीचे शांति से बैठे हुए पाया। उनके चेहरे पर शांति थी। सेवक भी आश्चर्यचकित थे, और जब उन्होंने वापस जाकर राजा को बताया तो वह भी आश्चर्यचकित हुए। अपने बेटे को इतनी गहराई से विचार और शांति में डूबा हुआ देखकर, राजा को गर्व महसूस हुआ। उन्होंने समझा कि सिद्धार्थ का दिल बहुत बड़ा है और वह दूसरों की पीड़ा को गहराई से महसूस करता है।
उस दिन की घटना सिद्धार्थ के दिल में बस गई। जैसे-जैसे वह बड़े हुए, वह दुनिया के दुःख और पीड़ा के बारे में सोचते रहे। जिसने उनके मन में करुणा के बीज बो दिए। इस विचार ने उनके अंदर एक ऐसा रास्ता खोजने की इच्छा को जगा दिया जो सभी जीवों को दुखों से मुक्ति दिला सके व उनके दर्द को कम कर सके।
इसी कारण एक दिन वे अपने शाही जीवन को त्यागकर राजमहल छोड़ कर सत्य और शांति की खोज में निकल पड़े और अंततः बुद्ध बनकर उन्होंने पूरी दुनिया को करुणा और ज्ञान का मार्ग दिखाया।
शिक्षा – सिद्धार्थ की यह कहानी हमें सिखाती है कि करुणा और दया ही हमें सच्चा इंसान बनाती है। यदि हम सभी जीवों से प्रेम और दया का व्यवहार करें, तो हम दुनिया को बेहतर और खुशहाल बना सकते हैं।
Hindi Moral Stories, kid’s Moral story in hindi
Moral Stories for kids in hindi
Kid’s Moral Story