Mob Lynching in India

Mob Lynching, एक ऐसा कृत्य है जिसमें बिना किसी कानूनी सुनवाई के, केवल आरोपों के आधार पर , किसी व्यक्ति की हत्या शामिल होती है।यह आक्रामकता का वह निंदनीय रूप है जिसमें लोगों के एक समूह को स्वयं न्याय देने के लिए, गलत काम करने वाले को क्रूर सजा देते हुए देखा जा सकता है।

मॉब लिंचिंग(Mob Lynching) क्या है

मॉब लिंचिंग हिंसा का एक रूप है जिसमें भीड़, बिना मुकदमा चलाए न्याय देने के बहाने, किसी कथित अपराधी को यातना देते हुए मार देती है। यह किसी समूह द्वारा किसी को दंडित करने का अवैध तरीका है। ऐसी घटनाएँ कानून के प्रति असहिष्णुता और अवमानना को दर्शाती हैं।

Mob-Lynching

दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जहां एक भीड़ न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना एक कथित अपराधी को दंडित करने का निर्णय स्वयं ले लेती है, उसे Mob Lynching कहते हैं। इस प्रक्रिया में त्वरित न्याय देने के लिए शारीरिक हमला, यातना और कभी-कभी हत्या भी शामिल है। इस प्रकार भीड एक निष्पक्ष और न्यायसंगत कानूनी प्रणाली का उल्लंघन करती है और एक न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद की भूमिका निभाती है।

मॉब लिंचिंग(Mob Lynching) के कारण

मॉब लिंचिंग की घटना में कई जटिल कारक योगदान करते हैं:
o झूठे समाचार और गलत सूचनाओं का प्रसार: लोगों की सीमित जागरूकता और शिक्षा की कमी के कारण लोग गलत समाचारों और झूठी कहानियों को सच मानकर बड़े पैमाने पर उन्माद और अराजकता को फैलते हैं।

o बेरोजगारी और भेद्यता: युवा बेरोजगारी भी इसका एक बड़ा कारण हैं, जो युवाओं के दिमागों को निष्क्रिय और चरमपंथी विचारधाराओं द्वारा हेरफेर के प्रति संवेदनशील बना देती है, जिससे भीड़ हिंसा(Mob Violence)की संभावना बढ़ जाती है।

o कमजोर कानून प्रवर्तन(Weak Law Enforcement): कानूनों का अपर्याप्त कार्यान्वयन और सुरक्षा की कमी एक ऐसा वातावरण बनाती है, जहां भीड़ का न्याय ही एक वैकल्पिक समाधान दिखता है।

o पुलिस की प्रभावहीन प्रक्रियाएँ: घृणा, अपराध और Moblynching जैसी घटनाओं में वृद्धि का एक कारण पुलिस की प्रभावहीन जाँच प्रक्रियाएँ और कानून और व्यवस्था बनाए रखने में विफलता भी है ।

o सोशल मीडिया का दुरुपयोग: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी नफरत और गलत सूचना फैलाने, सांप्रदायिक तनाव और दुश्मनी को बढ़ावा देने में मदद करते है।

o राजनीतिक शोषण: राजनीतिज्ञ भी कभी-कभी अपने फ़ायदे के लिए सांप्रदायिक विभाजन का फायदा उठाते है, जिससे सामाजिक अशांति बढ़ जाती है, जो दंगों को या हिंसा को बढ़ावा देती है।

o पक्षपात और पूर्वाग्र(Biases and Prejudices): जाति, वर्ग और धर्म पर आधारित पूर्वाग्रह प्रायः विशिष्ट व्यक्तियों या समूहों को निशाना बनाकर Moblynching की आग को भड़काते हैं।

भारत में मॉब लिंचिंग के मामलों के उदाहरण

o दादरी लिंचिंग (2015): सितंबर 2015 में, उत्तर प्रदेश के दादरी में एक भीड़ ने मोहम्मद अखलाक नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति पर केवल इस अफवाह के कारण हमला किया कि उसने गोमांस खाया था। अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और उसके परिवार पर भी हमला किया गया. इस घटना से समाज में व्यापक आक्रोश फैल गया।
o अलवर लिंचिंग (2017): अप्रैल 2017 में, एक मुस्लिम डेयरी किसान पहलू खान को गाय तस्करी के आरोप के कारण, राजस्थान के अलवर में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला , जब वह मवेशियों को ले जा रहा था।
o झारखंड लिंचिंग (2019): जून 2019 में, एक युवा मुस्लिम व्यक्ति तबरेज़ अंसारी को चोरी के संदेह में झारखंड में भीड़ ने बेरहमी से पीटा था। उसे एक खंभे से बांध दिया गया और धार्मिक नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया। इस हमले का वीडियो बनाकर प्रसारित किया गया, जिससे आक्रोश फैल गया।
o पालघर लिंचिंग (2020): अप्रैल 2020 में, महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों को सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों के कारण उन्हें बच्चा चोर मानकर, भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी
o हरियाणा लिंचिंग (2021): जुलाई 2021 में, हरियाणा में शौकत अली नाम के एक 36 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति को मवेशी चोरी के आरोप में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। बाद में उसके परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने हमले को रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया।

Mob Lynching के लिए सरकारी पहल

मॉब लिंचिंग से निपटने के सरकारी प्रयासों में शामिल हैं:

o नया कानून: नए कानून(2023) के अनुसार Mob Lynching के लिए फांसी की सजा का प्रावधान हैं
o सांप्रदायिक सद्भाव योजनाएँ: ” एक भारत श्रेष्ठ भारत” जैसी योजनाएं विभिन्न समुदायों के बीच एकता को बढ़ावा देती हैं और तनाव को कम करने का काम करती हैं।
o पुलिस सतर्कता: अनेक राज्यों में पुलिस बलों ने अफवाहों को दूर करने और फर्जी खबरों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया है।
o फास्ट-ट्रैक कोर्ट और टास्क फोर्स: नफरत फैलाने वाले भाषण और फर्जी समाचार फैलाने वालों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट और टास्क फोर्स कार्य करते है।
o पीड़ित मुआवजा(Victim Compensation): इस प्रकार की स्कीम का उद्देश्य Moblynching से प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास प्रदान करना है।

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