साधारण शब्दों में यदि कहा जाए तो Bluetooth एक वायरलेस टेक्नोलॉजी है, जिसका आविष्कार 1994 में डच इंजीनियर जैप हार्टसन ने किया था। इस तकनीक के द्वारा हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को पूरी स्वतंत्रता के साथ इस्तेमाल कर सकते है, जो कि Cable से कनेक्ट होने वाली डिवाइसेस के साथ असंभव था।
एरिक्सन मोबाइल कम्युनिकेशंस की मदद से 1994 तक ब्लूटूथ तकनीक विकसित हो गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य मोबाइल फोन और अन्य डिवाइसेस को बिना केबल के किस प्रकार उपयोग किया जाए, इस बारे में विकल्पों को खोजना था।
Bluetooth के सभी वर्ज़न के बीच मुख्य अंतर इस प्रकार हैं:
- ब्लूटूथ 1.x: ब्लूटूथ का पहला वर्ज़न , जोकि 1999 में रिलीज किया गया था, 1 mbps की स्पीड से 10 मीटर तक डेटा को ट्रांसफर करसकता था।
- ब्लूटूथ 2.x: यह वर्ज़न 2004 में रिलीज किया गया था और 3 mbps की स्पीड से 30 मीटर तक डेटा को ट्रांसफर कर सकता था।
- ब्लूटूथ 3.x: यह वर्ज़न 2009 में रिलीज किया गया था और 24 mbps की स्पीड से 100 मीटर तक डेटा को ट्रांसफर कर सकता था।\
- ब्लूटूथ 4.x: यह वर्ज़न 2010 में रिलीज किया गया था और 25 mbps की स्पीड से 60 मीटर तक डेटा को ट्रांसफर कर सकता था।
- ब्लूटूथ 5.x: यह वर्ज़न 2016 में रिलीज किया गया था और 50 mbps की स्पीड से 120 मीटर तक डेटा को ट्रांसफर कर सकता था।
- ब्लूटूथ 6.x: यह सबसे नया वर्ज़न है जोकि 2022 में रिलीज किया गया था और 100 mbps की स्पीड से 240 मीटर तक डेटा को ट्रांसफर कर सकता था।
ब्लूटूथ का हर नया वर्ज़न पुराने वर्ज़न की अपेक्षा बेहतर है।
How Does Bluetooth Work | ब्लूटूथ कैसे कार्य करता है?
ब्लूटूथ एक वायरलेस ट्रांसमिटिंग टेक्नॉलजी है, जिसे किसी अन्य इक्स्टर्नल डिवाइस के साथ जोड़ा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों डिवाइसेस एक-दूसरे पर निर्भर हो जाती हैं। जिसे मिस्टर जैप हार्टसन ने रेडियो तरंगों का उपयोग करके डेटा को ट्रांसफर करने और रिसीव करने के सिद्धांत पर तैयार किया।
• हर एक ब्लूटूथ कनेक्टिंग डिवाइस के अंदर एक बिल्ट-इन चिप होती है, जिसे ब्लूटूथ एडाप्टर कहा जाता है। यूजर इस एडाप्टर का प्रयोग डेटा को एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस में ट्रांसफर करने और रिसीव करने के लिए करते हैं। इस ब्लूटूथ एडाप्टर की डिवाइसेस को कनेक्ट करने की एक विशेष रेंज होती है। जब कोई ब्लूटूथ डिवाइस इस रेंज के अंतर्गत आती है तो दोनों डिवाइसेस के मध्य नेटवर्क कनेक्शन होना संभव होता है।
• जब दोनों डिवाइसेस के मध्य कनेक्शन पूरी तरह से सेट हो जाता है, तो लिंकेज और पेयरिंग भी पूरी हो जाती है, जिसे ब्लूटूथ पेयरिंग का नाम दिया जाता है। दोनों कनेक्टेड ब्लूटूथ डिवाइसों के मध्य डेटा ट्रांसफर करने और रिसीव करने के लिए रेडियो वेव्स का इस्तेमाल होता है।
• जब डिवाइस को कनेक्शन के लिए सेट किया जाता हैं, तो दोनों डिवाइसेस एक ही रेंज पर डेटा को ट्रांसफर व रिसीव करते है। जब दोनों डिवाइस एक समान फ्रीक्वन्सी रेंज को ढूढ़ लेते हैं, तो यूजर को इसकी जानकारी ‘Found’ शब्द के द्वारा हो जाती है।
• यह नेटवर्क कनेक्शन मिनी कम्प्यूटर के समान होता है जिसे Piconet कहा जाता है।
• इस प्रक्रिया में एक डिवाइस को मास्टर डिवाइस कह सकते जो ऑर्डर देता है व दूसरी को Slave डिवाइस कहा जा सकता है जो मास्टर डिवाइस के Actions का अनुसरण करती है।
Different Types of Bluetooth Devices| ब्लूटूथ डिवाइसेस के प्रकार
Bluetooth डिवाइसेस कई प्रकार की होती हैं, जिनमें कुछ इस प्रकार हैं –
• ब्लूटूथ हेडसेट्स (Bluetooth Headsets):
• स्टीरिओ हेडसेट्स(Stereo Headset)
• इन-कार ब्लूटूथ हेडसेट्स (In-Car Bluetooth Headset)
• ब्लूटूथ प्रिंटर (Bluetooth Equipped Printer)
• वेबकैम (Enables Webcam)
• ब्लूटूथ जीपीएस डिवाइस (Bluetooth GPS Device)
• ब्लूटूथ कीबोर्ड (Bluetooth Keyboard)
ब्लूटूथ स्पीकर या हेडफोन को मोबाईल फोन से कनेक्ट करके म्यूजिक सुनने के लिए उपयोग मे लाया जाता है। Bluetooth का उपयोग Files और Data को ट्रान्सफर करने के लिए भी किया जाता है।
इनको कार के डैशबोर्ड में कनेक्ट किया जा सकता है। जिससे आप कॉल रिसीव कर सकते हैं, म्यूजिक सुन सकते हैं या GPS द्वारा Direction का पता कर सकते हैं।