Citizenship Amendment Act 2019 (CAA Bill)-हिन्दी में

1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करके पहली बार Citizenship Amendment Act (CAA Bill) को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था। 8 जनवरी 2019 को लोकसभा ने इसको पास कर दिया था, लेकिन 16वीं लोकसभा के विघटन के साथ यह भी समाप्त हो गया था।

इसके पश्चात 17वीं लोकसभा में 9 दिसम्बर 2019 को गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को फिर पेश किया जोकि 10 दिसम्बर 2019 को लोकसभा में और 11 दिसम्बर को राज्य सभा में भी पास कर दिया गया।

CAA Bill को भारत में प्रवेश करने वाले उन प्रवासियों (जिन्होंने भारत में 31 दिसम्बर 2014 को या उससे पहले प्रवेश किया था) को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए पारित किया गया था।

CAA Bill छह अलग-अलग धर्मों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) के प्रवासियों(Migrants) के लिए पारित किया गया था जोकि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए थे। कोई भी व्यक्ति जो पिछले 12 महीनों के दौरान और पिछले 14 वर्षों में से 11 वर्षों तक भारत में रहा हो, इस ऐक्ट के लिए योग्य होगा, लेकिन अवैध प्रवासियों (migrants) के लिए 11 वर्षों की सीमा को घटाकर पाँच वर्ष कर दिया गया है।

Citizenship-Amendment-Act

Citizenship Amendment Act के अनुसार किसी भी विदेशी को अवैध प्रवासी( illegal migrant) तब कहा जाता है जब वह पासपोर्ट व वीज़ा जैसे वैलिड डॉक्यूमेंट के बिना देश में प्रवेश करता है या वह वैलिड डॉक्यूमेंट के साथ तो प्रवेश करता है लेकिन प्रदान की गई समय अवधि से अधिक रुकता है।

किसी भी अवैध प्रवासी((illegal migrant) को Foreigners Act, 1946 और Passport Act, 1920 के अंतर्गत जेल भेजा जा सकता है।

Features of Citizenship Amendment Act 2019

• CAA 2019 का मुख्य उद्देश्य सिटिज़नशिप ऐक्ट, पासपोर्ट ऐक्ट व foreigners ऐक्ट में बदलाव करना है, यदि अवैध प्रवासी(illegal migrants) उन धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं जो पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से हैं।

• दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अधिनियम का उद्देश्य भारत के पड़ोसी देशों के सताए हुए (केवल छः धर्मों के) लोगों के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करने में सहायता करना है।

• यह कानून उन लोगों के लिए है जिन्हें धर्म के आधार पर उत्पीड़न सहना पड़ा और जिन्हें भारत में शरण लेने के लिए मजबूर या बाध्य किया गया था। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को अवैध प्रवासन(illegal migration) की कार्यवाही से बचाना है।

• आवेदक को 31 दिसम्बर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश अनिवार्य है।

• ऐक्ट के अनुसार नागरिकता प्राप्त करने पर आवेदक को उसके प्रवेश की तारिख से भारत का नागरिक माना जाएगा और उनके खिलाफ हो रही सभी कानूनी कार्यवाही(अवैध प्रवास या नागरिकता के संबंध में) बंद कर दी जाएगी।

Criticism against Citizenship Amendment Act 2019

इसकी आलोचना में कहा गया है कि यह मुसलमानों के ख़िलाफ़ है तथा इसमें पाकिस्तान में शिया, बलूची और अहमदिया मुसलमानों और अफगानिस्तान में हज़ारों, जिन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, को नागरिकता के लिए आवेदन करने का प्रावधान नहीं है।

सीएए के खिलाफ आलोचकों का कहना है कि यह म्यांमार और श्रीलंका में सताए गए लोगों के लिए नहीं होगा, जहां से रोहिंग्या मुस्लिम और तमिल, शरणार्थी के रूप में देश में रह रहे हैं।

आलोचकों ने तर्क दिया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो समानता के अधिकार की बात करता है।

आलोचनाओं में से एक यह भी है कि यह ऐक्ट वर्ग विधान(क्लास लेजिस्लेशन) का एक उदाहरण है, क्योंकि यह धर्म के आधार पर वर्गीकरण की बात करता है।

North East is objecting to CAA – कारण

नॉर्थ ईस्ट के अनुसार यह अधिनियम असम समझौते का उल्लंघन करता है। असम समझौते के अनुसार विदेशी अप्रवासियों के लिए कटऑफ तिथि 24 मार्च 1971 तय की गई थी जोकि राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के बीच हस्ताक्षरित समझौता था। इस तिथि के बाद अवैध रूप से असम में प्रवेश करने वालों का पता लगाया जाना था और उन्हें निर्वासित किया जाना था फिर चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

जबकि नागरिकता संशोधन अधिनियम(CAA Bill 2019) ने छह धर्मों के लिए कटऑफ तिथि को 31 दिसंबर, 2014 तक बढ़ा दिया, जो कि नॉर्थ ईस्ट के लोगों को स्वीकार्य नहीं है। उनके अनुसार यदि हजारों लोग असम और उत्तर पूर्व में कानूनी रूप से रहना शुरू कर देगें तो आर्थिक समस्याएं बढ़ेगीं और लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी कम होंगे।

Arguments by supporters of CAA Bill

• CAA Bill को सपोर्ट करने वालों का कहना है कि यह मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं है।

• अहमदिया और रोहिंग्या अभी भी देशीयकरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं, यदि उनके पास वैध यात्रा दस्तावेज(valid travel documents) हैं।

• किसी भी शिया मुस्लिम को शरणार्थी के रूप में भारत में निवास जारी रखने के उसके केस पर उसकी योग्यता और परिस्थितियों के आधार पर विचार किया जाएगा।

• बलूची शरणार्थियों के संबंध में कहा गया कि सीएए में बलूचियों को शामिल करना पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में माना जा सकता है।

• यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अल्पसंख्यकों को भी स्वचालित नागरिकता नहीं दी जाएगी। उन्हें नागरिकता अधिनियम, 1955 की तीसरी अनुसूची में निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करना होगा, अर्थात् अच्छे चरित्र की आवश्यकता के साथ-साथ भारत में भौतिक निवास भी।

• राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानून में भारत के सबसे बड़े नामों में से एक हरीश साल्वे का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है।

Conclusion

जहाँ तक नागरिकता की बात है तो संसद के पास देश के लिए कानून बनाने की असीमित शक्तियाँ होती हैं। लेकिन विपक्ष और अन्य राजनीतिक दलों का कहना है कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता और समानता जैसी संविधान की कुछ बुनियादी विशेषताओं का उल्लंघन करता है। अतः इसे सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिए जहां सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ही अंतिम होगा।

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