Hindi Moral Stories: एक समय की बात है, हरे-भरे जंगलों और ऊँची पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा सा गाँव था जिसमें सोनू नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ही बुद्धिमान व जिज्ञासु था। जिसके कारण वह गाँव में प्रसिद्ध था।
सोनू अक्सर अपने गाँव के पास वाले जंगल के बारे में जानने को उत्सुक रहता था क्योंकि गाँव वाले अक्सर अद्भुत जंगल के बारे में बातें करते रहते थे। सोनू ने गाँव वालों से सुना था कि जंगल में जादूगर रहते हैं। सबने सोनू को जंगल में न जाने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि “जंगल बहुत घना व भयानक है। अगर तुम सावधान नहीं रहे, तो तुम खो सकते हो या मुसीबत में पड़ सकते हो।”
लेकिन सोनू, साहसी था, बिलकुल भी डरा नहीं। उसने सोचा, “अगर जादूगर हैं, तो ज़रूर उनके पास उसे बताने के लिए कहानियाँ और रहस्य भी होंगे।”
एक सुबह, काफी सोचने के बाद, सोनू ने उस अद्भुत जंगल की यात्रा करने का फैसला किया। उसने अपने बैग में पानी, रोटी और अपनी पसंदीदा लाल स्कार्फ रखी और निकल पड़ा। जैसे ही उसने जंगल में कदम रखा, अचानक ठंडी हवा चलने लगी और पेड़ धीरे-धीरे फुसफुसाने लगे।
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कई घंटों तक चलने के बाद, सोनू एक बड़े खुले मैदान में पहुँचा। मैदान के बीचों-बीच एक पुराना, घुमावदार ओक का पेड़ था। उसकी शाखाएँ दूर तक फैली थीं और उसकी छाल चांदी की तरह चमक रही थी। सोनू उसकी सुंदरता को देख ही रहा था, कि अचानक उसे एक धीमी आवाज सुनाई दी, “तुम यहाँ क्यों भटक रहे हो, छोटे बच्चे?” सोनू ने चौंक कर इधर-उधर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। वही आवाज जब फिर दोबारा आई, तो सोनू को समझ में आ गया कि यह ओक का पेड़ ही बोल रहा था!
सोनू ने उत्साह से कहा, “मैं जंगल के अद्भुत रहस्यों को जानने और यहाँ के जादुई प्राणियों से मिलने आया हूँ।”
ओक के पेड़ की पत्तियाँ धीरे-धीरे हिलने लगीं, जैसे वह हंस रहा हो। “अरे, बहुत लोग यहाँ उत्सुकतावश आते हैं, लेकिन केवल वही सीख पाते हैं, जो धैर्यवान और दयालु होते हैं।”
“मैं दोनों ही हूँ!” सोनू ने खुश होकर कहा।
पेड़ ने मुस्कुराते हुए कहा, ” देखते हैं। लेकिन तुमको समझदारी से आगे बढ़ना होगा ।”
सोनू ने सिर हिलाया और पेड़ को धन्यवाद देकर जंगल की ओर बढ़ा। चलते-चलते, उसे एक दोराहा दिखाई दिया। दाईं ओर एक संकरा, काँटों से भरा रास्ता था जिसमें अंधेरा था और वह खतरनाक दिख रहा था। बाईं ओर एक दूसरा बहुत खूबसूरत रास्ता था, जो सूरज की रोशनी से जगमगा रहा था।
बिना ज़्यादा सोचे, सोनू ने उस खूबसूरत रास्ते को चुना। उस पर चलना आसान था, और उसने अपनी पसंद पर गर्व महसूस किया। लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता गया, रास्ते में कोहरा दिखने लगा। जल्दी ही वह उस कोहरे में खो गया, और उसे कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया। कोहरे में उसे चक्कर आने लगा, तभी उसे चारों ओर अजीब फुसफुसाहटें सुनाई देने लगीं। वह डर से घबराने लगा।
उस को लगा कि वह कभी बाहर नहीं निकल पाएगा, अचानक उसे एक मधुर धुन सुनाई दी। वह धुन का पीछा करते-करते एक चमकते हुए जुगनू के पास पहुँचा। जुगनू बोला, “हर सुंदर व खूबसूरत चीज़ हमेशा सदैव सुख नहीं देती है, बेटा। यह रास्ता धोखा देने वाला है।“
सोनू को शर्मिंदगी महसूस हुई कि उसने आसान रास्ता चुना। उसने जुगनू से उसे वापस ले जाने की विनती की। जुगनू ने सोनू को कोहरे से बाहर निकाला और दोबारा उस दोराहे पर ला खड़ा किया।
मुझे ओक के पेड़ की बात सुननी चाहिए थी, सोनू ने खुद से कहा। इस बार, उसने काँटों वाला रास्ता चुना। काँटों ने उसकी पैरों को खरोंच दिया, लेकिन सोनू बिना रुके आगे बढ़ता रहा।
काफी लंबी और थकाने वाली यात्रा के बाद, एक चमकती हुई झील उसके सामने थी, जिसके चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिले थे। झील के किनारे एक लोमड़ी खड़ी थी। लोमड़ी ने सोनू को मुस्कुराकर देखा।
“तुम पहुँच गए,” उस ने कोमल आवाज़ में कहा “यह जादुई झील है। यह तुम्हारा चेहरा नहीं, बल्कि तुम्हारा दिल दिखाती है।”
उत्सुकतावश सोनू झील के पास गया और पानी में झाँकने लगा। पहले तो उसे केवल पानी की लहरें दिखाई दीं, लेकिन जल्द ही उसमें एक छवि बनने लगी। उसने खुद को एक बूढ़ी महिला की टोकरी उठाने में मदद करते, एक भूखे बच्चे के साथ अपनी रोटी बाँटते, और एक दोस्त को दिलासा देते हुए देखा। लेकिन जैसे-जैसे वह देखता गया, उसे वह सब भी दिखाई दिया जब वह स्वार्थी, अधीर और यहाँ तक कि बेईमान था।
लोमड़ी ने धीरे से कहा, “काँटों वाला रास्ता केवल तुम्हारी सहनशक्ति की परीक्षा लेने के लिये ही नहीं था—बल्कि यह तुम्हें सिखाने के लिए था कि कठिन रास्ते हमें बहुत कुछ सिखाते हैं।”
सोनू झील के किनारे बैठा और उसने महसूस किया कि जंगल का जादू यहाँ के जीवों या रास्तों में नहीं था, बल्कि उन सीखों में था जो वह सिखाता था। सुनहरे रास्ते ने उसे लुभाया था, लेकिन काँटों वाले रास्ते ने उसे उसकी असली पहचान दिखाई थी।
“अब मैं समझ गया,” सोनू ने लोमड़ी से कहा। “असली जादू तो वे सबक हैं जो हम अपनी पसंद के ज़रिए सीखते हैं।” लोमड़ी ने सिर हिलाया। “तुम अब पहले से ज़्यादा समझदार हो। आज तुमने जो सीखा इसको सदैव याद रखना।”
कृतज्ञता से भरे दिल से, सोनू ने लोमड़ी को धन्यवाद दिया और घर वापस आने के लिये आगे बढ़ा।
जैसे ही वह जंगल से बाहर निकला, ओक के पेड़ ने एक बार फिर फुसफुसा कर कहा, “याद रखना, सोनू, जीवन का सबसे बड़ा चमत्कार तो वे सबक होते हैं, जो हम कठिन रास्तों पर चल कर धैर्य व दया से सीखते हैं।
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