Moral Stories in Hindi: एक बार की बात है, एक जंगल में एक गिलहरी रहती थी, जिसका नाम सोना था। सोना बहुत ही शरारती थी। वह कभी भी अपने आने वाले समय के बारे में नहीं सोचती थी। जब सभी पशु पक्षी सर्दियों के लिये भोजन की व्यवस्था में लगे होते थे, तब वह अपना सारा समय मौज मस्ती में व खेलने कूदने में ही व्यतीत करती थी।
एक दिन जब वह पेड़ पर उछल कूद कर रही थी तभी उसने ज़मीन पर एक चमकीली सी चीज पड़ी देखी। जिसे देख कर वह आश्चर्य से भर गई और यह जानने के लिये कि वह क्या है, सोना बहुत तेजी से पेड़ के नीचे उतरी। पेड़ के नीचे उसने बलूत का एक फल पड़ा देखा, लेकिन वह कोई साधारण बलूत नहीं था, वह सुनहरा था। सूरज की रोशनी उस पर पड़ रही थी, जिससे वह चमक रहा था और जादुई सा लग रहा था।
सोना ने उसे एक जादुई फल समझ कर उठा लिया, उस को अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था। वह सोचने लगी कि सर्दियों में यह जादुई फल उसके बहुत काम आएगा। अब तो मुझे काम करने की या खाना एकठ्ठा करने की आवश्यकता ही नहीं है। सर्दियों में यह जादुई बलूत सारी कमियों को पूरा कर देगा।
यह सोच कर उसने बलूत को एक पेड़ में सुरक्षित स्थान पर छिपा कर रख दिया और स्वयं खेलने कूदने में व्यस्त हो गई। समय बीतता रहा। सभी दूसरे जानवर सर्दियों की तैयारी कर रहे थे। सोना उनको काम करता देख कर मन ही मन हँसती रहती थी। सोचती थी कि इन सबको कितनी मेहनत करनी पड़ रही है। मेरे पास तो जादुई बलूत है। उसको इस पकार मस्ती से घूमता देख कर एक दिन उसकी दोस्त टीना गौरैया, जोकि बहुत समझदार थी, ने उससे कहा – ‘सोना, तुम तो हर समय खेलती रहती हो, क्या तुमने सर्दियों की तैयारी कर ली है? अपने लिये खाना एकठ्ठा कर लिया है?‘
सोना ने हँसते हुए कहा – “मुझे इसकी जरूरत नहीं है, टीना। मेरे पास तो एक सुनहरा जादुई बलूत है। सर्दियों में वह मुझे सारा भोजन दे देगा जिसकी मुझे जरूरत होगी।‘
टीना ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा – ‘सोना, क्या तुम्हें पूरा विश्वास है कि वह जादुई बलूत ही है।‘
सोना ने थोड़ा नाराज होकर कहा – ‘पक्का तो नहीं, लेकिन मुझे विश्वास है कि वह मेरी मदद कर देगा।‘
टीना ने फ़िर उसको समझाया – ‘ देखो सोना, सभी चीज़े हमेशा वैसी नहीं होती हैं जैसी वे दिखती हैं। हम कितने ही भाग्यशाली क्यों न हों, बुद्धिमानी इसी में होती है कि हम सदैव भविष्य के लिये तैयारी रखें।‘
लेकिन सोना ने उसकी बात नहीं मानी। उसको अपने सुनहरे बलूत पर विश्वास था कि वह उसका ख्याल रखेगा।
समय बीतता रहा। सोना वैसे ही सर्दियों की चिंता किए बिना खेलती कूदती रही। धीरे धीरे सर्दियों का मौसम आने लगा। पेड़ों के पत्ते जमीन पर गिरने लगे। ठंड के कारण सभी पशु पक्षी अपने-अपने घरों में दुबकने लगे। सभी ने पहले ही ठंड की व्यवस्था कर ली थी अतः वे आराम से रहने लगे।
अब सोना को भी थोड़ी-थोड़ी चिंता होने लगी। उसने ठंड के लिये कुछ भी तैयारी नहीं की थी। फिर उसने अपने आपको आश्वासन दिया कि मेरा सुनहरा बलूत अब मेरे काम आएगा।
सर्दी की एक ठंडी सुबह, सोना काँपते हुए उठी। उसको बहुत जोर से भूख लग रही थी। वह जल्दी से उस ओर दौडी जहाँ उसने उसे ठंड और भूख से बचाने के लिए सुनहरा बलूत छिपाया था। लेकिन जब सोना ने बलूत को निकाला, तो देखा कि वह तो बस एक साधारण सा सुनहरे रंग का बलूत था। उसमें कोई जादू नहीं था, बलूत ने उसे कोई खाना नहीं दिया। यह बस एक सुंदर बलूत था, जिसमें कुछ भी खास नहीं था।
सोना बहुत दुखी हुई। उसे एहसास हुआ कि उसने एक बहुत बड़ी गलती की है। उसने मौज-मस्ती करने में और सुनहरे बलूत पर निर्भर रहने में ही समय नष्ट कर दिया था और सर्दियों के लिए कोई तैयारी नहीं की थी। अब, उसके पास न तो भोजन था और न ही कोई ऐसी जगह थी जहाँ वह जा सके।
वह दुखी व हताश होकर इधर-उधर भटकने लगी। उसने देखा अन्य गिलहरियाँ अपने अपने घोंसलों में सुरक्षित थी व उनके पास भोजन की भी पर्याप्त व्यवस्था थी। जब सोना आगे बढ़ रही थी, तो उसकी नज़र एक पेड़ पर बैठी टीना पर पड़ी। टीना ने उसे प्यार से देखा और कहा “देखा, समय से तैयारी न करने से कितनी परेशानी होती है, है न?”
सोना ने धीरे से सिर हिलाया, उसकी आँखों में आँसू भर आए और उसने कहा “मुझे तुम्हारी बात मान लेनी चाहिए थी, टीना। मुझे लगा था कि सुनहरा बलूत मुझे बचा लेगा, लेकिन अब मेरे पास कुछ भी नहीं है।”
टीना उड़कर उसके पास आकर बैठ गई और बोली – “आज तुमने अपनी गलती से सबक सीखा है। आज तुम्हें पता चल गया कि कड़ी मेंहनत और तैयारी से ही सफलता मिलती है। अभी भी देर नहीं हुई है। चलो, हम खाना ढूढ़ लेते हैं।”
टीना की मदद से सोना ने अपने लिये खाना ढूढ़ लिया। आज सोना ने कड़ी मेहनत करना सीखा था व अगले वर्ष वह सर्दी की तैयारी करने वाली सबसे पहली गिलहरी थी। सोना ने फिर कभी भी केवल भाग्य पर भरोसा नहीं किया क्योंकि अब उसे पता था कि जीवन में कठिन परिश्रम के बिना कुछ भी नहीं मिलता है।
Moral of the Story:
सफलता पाने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता है। सच्ची सफलता कड़ी मेहनत, तैयारी और अपने भविष्य की जिम्मेदारी लेने से मिलती है।
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