Basics of Computer – Quick overview – हिन्दी में

यह पोस्ट उन सभी व्यक्तियों के लाभदायक होगी जो Basics of computer को समझना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि यह कैसे काम करता है। इस पोस्ट में हम कंप्यूटर के विभिन्न पार्ट्स के बारे में विस्तार से जानेगें, जो कम्प्यूटर को कुशलतापूर्वक और सही तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाते हैं।

जैसाकि हम सभी जानते है कि कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो हमारे द्वारा दिए गए इनपुट को स्टोर व प्रोसेस करके वांछित रूप में आउटपुट प्रदान करती है । कंप्यूटर हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग हैं क्योंकि वे आसान व जटिल सभी कार्यों को बिना गलती किए बार-बार पूरा कर सकते हैं।

आज के समय में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कंप्यूटर का इस्तेमाल न किया हो या कम्प्यूटर न देखा हो या उसके बारे में न पढ़ा हो। कम्प्यूटर हमारे रोजमर्रा के अस्तित्व का एक अभिन्न अंग हैं। स्कूल, बैंक, दुकान, रेलवे स्टेशन, अस्पताल या आपका अपना घर ही क्यों न हो, कंप्यूटर हर जगह मौजूद हैं। अतः हमें इनके बारे में जानना आवश्यक है कि वे क्या हैं और कैसे कार्य करते हैं।

Basics of Computer

Basics of Computer

कुछ समय पूर्व तक कंप्यूटर को एक Calculation करने वाली डिवाइस के रूप में जाना जाता था। लेकिन, आधुनिक कंप्यूटर गणना करने के अलावा भी बहुत कुछ कर सकते हैं। आइए कम्प्यूटर से जुड़े कुछ Basic Terms के बारे में जानते हैं –

What is Data & information

कंप्यूटर में किए जाने वाले इनपुट को Data कहा जाता है और कम्प्यूटर इस डेटा को यूज़र की आवश्यकता के अनुसार प्रोसेस करके जो Output प्रदान करता है उसे इनफार्मेशन(Information) कहते हैं। वे Facts व Figures जिन्हें जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रोसेस किया जाता है, डेटा कहलाते हैं।

डेटा को दो प्रकार से प्रोसेस किया जाता है:

अंकगणितीय क्रियाएँ(Arithmetic operations) – उदाहरण के लिए जोड़ना, घटाना, वर्गमूल आदि
• लॉजिकल ऑपरेशंस(Logical operations) – उदाहरण के लिए तुलना करने वाली क्रियाएं – जैसे अधिक से अधिक, इससे कम, बराबर, विपरीत, आदि।

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Basic Parts of Computer

कंप्यूटर के बेसिक पार्ट्स इस प्रकार हैं –

Basics of Computer
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  • इनपुट यूनिट (Input Unit) – कीबोर्ड और माउस जैसी डिवाइसेस जिनका उपयोग यूजर के द्वारा डेटा को इनपुट करने और कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए किया जाता है, Input Unit कहलाते हैं।
  • आउटपुट यूनिट (Output Unit) – प्रिंटर और मॉनिटर या Visual display Unit जैसे उपकरण जो यूजर को जानकारी प्रदान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, आउटपुट यूनिट कहलाते हैं।
  • कंट्रोल यूनिट(Control Unit or CU) – जैसा कि नाम से पता चलता है, यह यूनिट कंप्यूटर के सभी कार्यों को नियंत्रित करती है। कंप्यूटर की सभी डिवाइसेस या parts कंट्रोल यूनिट के माध्यम से एक दूसरे से इंटरैक्ट(interact) करते हैं।
  • अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit or ALU) – इसे कंप्यूटर का ब्रेन कहा जाता है, यहीं पर सभी arithmetic और logical ऑपरेशन होते हैं।
  • मेमोरी(Memory) – इनपुट करा हुआ सभी डेटा, instructions आदि सभी को मेमोरी में स्टोर किया जाता है। मेमोरी दो प्रकार की होती है- प्राइमरी मेमोरी(primary memory) और सेकेंडरी मेमोरी(secondary memory)। प्राइमरी मेमोरी CPU के अंदर होती है जबकि सेकेंडरी मेमोरी इसके बाहर होती है।
  • कंट्रोल यूनिट(Control unit), अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट(Arithmetic Logic Unit ) और मेमोरी(Memory) यह तीनों मिलकर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट(central processing unit या CPU) कहलाते हैं।

Hardware & Software

कंप्यूटर की वे सभी डिवाइसेस जिन्हें हम देख और छू सकते हैं, जैसे कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर आदि, कंप्यूटर के हार्डवेयर कॉम्पोनेन्टस(Hardware Components) कहलाते हैं।

Instructions का set या प्रोग्राम जिसकी सहायता से कम्प्यूटर कार्य करता है, उनको सॉफ्टवेयर(Software) कहा जाता है। यद्यपि हम सॉफ्टवेयर को देख या छू नहीं सकते हैं, लेकिन कंप्यूटर को प्रोसेसिंग करने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों की आवश्यकता होती हैं।

Characteristics of Computer

कंप्यूटर हमारे जीवन का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा क्यों हैं, यह जानने के लिए इसकी कुछ विशेषताओं के बारे में जानते हैं-

  • गति(Speed) – एक कंप्यूटर हर सेकंड में कई मिलियन निर्देशों को प्रोसेस कर सकता है।
  • सटीकता(Accuracy) − कम्प्यूटर प्रायः किसी प्रकार की गलती नहीं करते है, जो भी errors होती है वे ज़्यादातर गलत instructions, गलत डेटा या किसी Bug के कारण होती हैं।
  • विश्वसनीयता (Reliability) − कंप्यूटर एक ही प्रकार का काम बिना किसी गलती के व बिना थकान या बोरियत के बार-बार कर सकता है।
  • बहुमुखी प्रतिभा(Versatility) – यदि आप आवश्यक डेटा को सही instructions के साथ इनपुट कर सकते हैं, तो कंप्यूटर विभिन्न प्रकार के कार्य जैसेकि Data Entry, टिकट बुकिंग, calculation आदि अनेक रार के कार्य कर सकता है।
  • स्टोरेज क्षमता(Storage Capacity) – आप कंप्यूटर में फाइलों को बहुत बड़ी संख्या में व डेटा को बहुत बड़ी मात्र में स्टोर कर सकते हैं।

What is Booting

कंप्यूटर को स्टार्ट करना बूटिंग कहलाता है । बूटिंग के दो स्टेप्स होते हैं-

• पावर सप्लाइ को शुरू करना
• कंप्यूटर की मेन मेमोरी में ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड करना व यूजर के द्वारा प्रयोग की जाने वाली सभी एप्लिकेशन को तैयार रखना

जब कंप्यूटर को स्टार्ट किया जाता है तो जो प्रोग्राम सबसे पहले load होता है, उस प्रोग्राम को BIOS या बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम कहा जाता है। BIOS एक फर्मवेयर है, अर्थात एक ऐसा सॉफ्टवेयर जो हार्डवेयर में स्थायी रूप(permanently) से प्रोग्राम किया गया है या कह सकते हैं कि स्थायी रूप से स्टोर किया गया है।

यदि कोई कम्प्यूटर पहले से ही चल रहा है, लेकिन उसे फिर से स्टार्ट करने की आवश्यकता होती है, तो इसे रिबूटिंग(Rebooting) कहा जाता है ।
बूटिंग दो प्रकार की होती है –

• कोल्ड बूटिंग(Cold Booting) – जब कम्प्यूटर पावर सप्लाइ के द्वारा स्टार्ट क्या जाता है, तो इसे कोल्ड बूटिंग(Cold Booting) कहा जाता है। कोल्ड बूटिंग के बाद अगला स्टेप BIOS को लोड करना होता है।

• वार्म बूटिंग(Warm Booting) − जब सिस्टम पहले से ही चल रहा हो और उसे फिर से रिबूट करने की आवश्यकता हो, तो इसे वार्म बूटिंग(Warm Booting) कहा जाता है। वार्म बूटिंग के समय BIOS पुनः लोड नहीं होता है अतः कोल्ड बूटिंग की अपेखस यह तेज़ होती है।

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